पहली बार हाथ में अपनी पुस्तक '' मात्र मात्राओं का खेल है '' को थामना ...
भावुक करा गया ... समझ ही नहीं आ रहा था कि उसमें मुझे देखना क्या है!!
कवर, पृष्ठ, सज्जा , रचनाएं या ख़ुश्बू ...
पुस्तक में लिखी रचनायें गत दो तीन बरस की है ... पुस्तक का रूप धारण करने से पहले समय विचारों/ शब्दों/इंतज़ार ने बहुत गोता खाया/ लगवाया |
आवरण बेटी उर्वशी दिनकर ने मधुबनी आर्ट्स के ज़रिये सजाया है |
2020 से लेकर 2022 तक या यूँ तो अभी भी कई कठिन परीक्षाओं का सामना करना पड़ा या पड़ रहा है | नतीजे की चिंता करने का कोई समय नहीं था , सो धड़ाधड़ इन्तेहां दिए जाती रही ... राहत की अब हमें फ़िक्र भी नहीं |
दर्द को अब माशूका जो बना लिया है ...
पुस्तक बनाने की प्रक्रिया बनते बनते छूटती रही , कई प्रकाशकों ने न बोलना था, सो उनको माफ़ किया, कुछ माफ़ी अभी रस्ते में हैं , पर यात्रा कायम रही ...
२ जनवरी , २०२३ अनुराग वत्स जी से पहली बार बात हुई ...
जाने माने नोशन प्रेस के युवा संपादक से हुई छोटी सी बातचीत ने इतना ईंधन का काम किया कि मात्र महीने भर में ४१ रचनाओं सहित काव्य संग्रह '' मात्र मात्राओं का खेल है '' हम सबके समक्ष ...
उनके एक और साथी आदर्श भूषण भी वाक पटु ... यानि एडिटोरियल टीम ऑफ़ नोशन प्रेस रॉक्स ...
दोस्तों , कुछ तस्वीरें जो बेटी ने खींची है , यह क्षण भविष्य के ख़ातिर क़ैद किये जाने जरूरी थे |
दुलार से मित्रों की अपनी भेजी हुई भी तस्वीरें हैं |
#मात्र मात्राओं का खेल है #निवेदिन #नोशन प्रेस
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https://notionpress.com/read/maatr-maatraon-ka-khel-hai
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