सोमवार, 30 सितंबर 2013

जब जब …


आज ही के दिन ३०/०९/२०११, आपका हम सब से विदा लेने के बाद, मैं एकबार फिर आप से  जुड़ी, एक भावांजलि  

जब जब … 
भीड़ भरी सड़क में 
अकेले होती  ….  
गहरी रातों की 
सुबह ढूँढती …
तेज़ धडकनों में
विश्वास चाहती  ….
गहन चिंता में 
डूबी फिरती    …. 
सवाल जवाब में 
उलझती सुलझती …  

तब तब ,
मैं आपको 
अपने आसपास पाती,
उदासी  हल्की होती जाती,
उजाले की आस सी होती  ,
हार जीत में बदलती , 
जिंदगी जिंदगी लगती   … 

क्योंकि 
"बापी " आपका टुकड़ा जो हूँ । 
हूँ  न॥   

- निवेदिता दिनकर 
  ३०/०९/२०१३ 

गुरुवार, 26 सितंबर 2013

क्या होती माँ



 माँ, आज २६/०९/ १३ तेरे जनम दिवस पर, कुछ ….   

"क्या होती माँ" 

पैदल ही दौड़ पडू 
पाने के लिए … 
बस एक अनुभूति , 
एक  अपनत्व,
भीनी सी खुशबू । 
सहला दे 
मेरे माथे को, 
मिल जाऊ 
फिर से 
तुझ में …  
बनकर 
एक बिंदु,  
बिंदु,
एक बिंदु॥ 

- निवेदिता दिनकर