देखों, क्या …
गज़ब का आकर्षण,
रौशनी की अमृत वर्षा …
समुद्री उफान बन
ज्वार,
भाटा बन सिमटना …
प्रेममय चाँदनी रातें,
अँधेरी वियोगी बातें …
कोजागरी पूर्णिमा,
पौष पूर्णिमा,
तीज़ त्यौहार,
करवाचौथ मनुहार ...
कवि की कल्पनाऐं,
हसरतें कसमसाय …
किस्से कहानियाँ …
उफ्फ …
चन्द्रमा का खेल कितना तिलस्मी है।
है न ॥
गज़ब का आकर्षण,
रौशनी की अमृत वर्षा …
समुद्री उफान बन
ज्वार,
भाटा बन सिमटना …
प्रेममय चाँदनी रातें,
अँधेरी वियोगी बातें …
कोजागरी पूर्णिमा,
पौष पूर्णिमा,
तीज़ त्यौहार,
करवाचौथ मनुहार ...
कवि की कल्पनाऐं,
हसरतें कसमसाय …
छल, कपट
साजिशें, लीलाएं
मोह, माया,किस्से कहानियाँ …
उफ्फ …
चन्द्रमा का खेल कितना तिलस्मी है।
है न ॥
- निवेदिता दिनकर
२९/०८/२०१४