बुधवार, 8 अप्रैल 2015

अस्तित्व !!


सुबह से 
चलते चलते ...
अन्दर बाहर 
सहेजते संवारते  …  
जूठे बरतन से लेकर 
कपड़े वाशिंग मशीन में डालने तक  …  
बेड टी,  नाश्ता …  
ऑफिस , 
पावर पॉइन्ट प्रेजेंटेशन 
फाइल्स, प्रोजेक्ट्स  … 
इस बीच 
बेटे के लिए डॉक्टर से अपॉइंटमेंट भी  … 

फिर शाम के लिए डिनर की तैयारी 
उनकी पसंद का हिसाब भी   … 
अरे हाँ, आज तो माँ को फ़ोन भी करना है 
इस आती जाती ठंड से 
उनके घुटनोँ में दर्द बढ़ गया है   …     

कब वीक एंड आएगा ?

खैर,
तब तक 
एक प्रिय गीत एफ एम पर आने लगा 
बाँहो के दरमियान
दो प्यार मिल रहे है … 
  
- निवेदिता दिनकर 
  ०८/०४/२०१५  
तस्वीर - साभार गूगल