बुधवार, 24 जुलाई 2019

राशिद



'' राशिद,
कल आ जाना ... ''
बस कहने भर से वह ख़ुशी से चहक उठा था ।
'' आप ने कितने प्यार से राशिद नाम लिया ,
वर्ना तो लोग कबाड़ी वाला कर के ही बात करते है।"
गंधोराज नींबू
की
छह आठ बूंदो
ने ...
सूरत के साथ सीरत
भी बदल दी
ग्रीन टी की ...
- निवेदिता दिनकर
२३/०७/२०१९

बुधवार, 17 जुलाई 2019

जाल



एंगेल बना,
हैंगिंग गमले में टंगा चाँद ...
होठों से गुजरते,
दार्जिलिंग टी धीरे धीरे 
ढलान पर उतर रही थी ...
तुलसी ने मिटटी पर पूरा अधिपत्य जमा रखा था ...
जाल बुन दिया गया है
पर
वह नीली कांजीवरम साड़ी क्यों नहीं मिल रही ?

- निवेदिता दिनकर 

बुधवार, 10 जुलाई 2019

सबसे चतुर स्त्री



सबसे चतुर स्त्री
ह है
जो
घनघोर बारिश में
भीगकर
अपनी सरसों पीली गोटेदार सिंथेटिक साड़ी को
घुटने तक उठाकर ,
पूरी तारतम्यता से
अपने
दूध मुहे बच्चे को कसकर सिमटाय रखती है ...
दूसरा हाथ मटमैला झोला लिए ...
दौड़कर
पानी भरा सड़क पार करती है ...
पल्लू सरक चुका होता है ...
अध पेट खाया धंसा पेट शान से झलकता है
लाल गाढ़ी लाली दाँतों तक चिपकी हुई ... लगभग
बस तब ...
तब
यह चमकीली नाज़नीन बूँदे
कुबड़ी
कुरूप
मंथरा
लगतीं हैं ...

- निवेदिता दिनकर 

शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

नशा



बचपन में बादलों को दिखाकर
माँ बोलतीं,
'ठाकुर, ओखाने थाके '
यानि ठाकुर जी वहाँ रहते हैं ।
हवाई जहाज में
बैठकर,
ठाकुर जी कई बार दिखें ...
बादलों की खूबसूरती
और
उनका एक दूसरे के पीछे
दौड़ने भागने छिपने
में ...
लिखते सोचते
तुम्हारे
देह से लिपटे
हुए
पा रही हूँ ।
आज
नशा
करने का
बहुत मन है ...
आओं न, कुछ घूंट भर लें...
श श श
चुपके से
इन बादलों की ...
- निवेदिता दिनकर
04/07/2019

तस्वीर : हवाई जहाज़ के भीतर से , अहमदाबाद यात्रा