ज़िद्दी ज़िद्दी ज़िद्दी 
हाँ हूँ 
यार, पगला जाती हूँ ...
आजकल 
बेकाबू टाइप हो जाती हूँ। 
कभी 
बहुत रोने का मन करता है |
अंदर सिसक रही हो जैसे  ... 
कच्चे घड़े को वापिस 
मिट्टी बनना हो वैसे  ... 
और
अब 
चीख चीखकर रोना चाहती है। 
रोने दो न  ... 
मिट्टी बनने दो न  ... 
- निवेदिता दिनकर  
  17/12/2016
तस्वीर : उर्वशी के आँखों देखी, लोकेशन : दिल्ली हाट  



















