बुधवार, 29 अक्टूबर 2014

गुस्ताख़ याद



तुम्हारे साथ बिताये पल ही लागे मुझे रौशनी, 
गुज़ारिश … 
इन गुस्ताख़ यादों के कैद से आज़ाद न करना कभी॥ 


- निवेदिता दिनकर

तस्वीर उर्वशी दिनकर के सौजन्य से "अद्भुत रौशनी "

शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

दाह संस्कार


जब पहुँची 
घाट … 
नहा धोकर 
चन्दन सी,  
रेशमी साड़ी में लिपटी …   
बेलें की कलियों के गजरें,
खास मेरी पसंद के, 
जवाकुसुम दमक … 

पर, आज …    
भीगी-भीगी कच्ची मिट्टी,
नथुनों में सौंधी खुशबू  … 
नरम नरम बाताश का लेप, 
वेदमंत्र … 
और कुछ 
सुबकियाँ … 

- निवेदिता दिनकर 
   १७/१०/२०१४ 

फोटो क्रेडिट्स - उर्वशी दिनकर "जवाकुसुम दमक"
  

रविवार, 12 अक्टूबर 2014

व्रत


आज तुम पास नहीं थे। लेकिन टेक्नोलॉजी की वजह से एक दूसरे से मुलाक़ात और बातचीत हो गई और इस प्रकार कब पच्चीस वे सालगिरह के नजदीक पहुँच गए …   
यों तो कभी तुमने करवाचौथ का व्रत रखने के लिए भी जोर नहीं दिया मगर अपनी तसल्ली और अपने को आँकने के लिए कोशिश जरूर करती हूँ॥       

बिन व्रत  
तुम्हें पाया।  
अब 
व्रत कर
अपने को 
पाने की 
कोशिश में … 

कितनी सगी, 
कितनी जटिल …  
कितनी उचित, 
कितनी खुदगर्ज़ …   
कितनी अभिमानी,
कितनी स्वार्थी …  
कितनी अपनी,
कितनी अपनों की …   

लगा कर 
कितने जोड़, 
कटौती …    
गणित,
विज्ञानं, 
अर्थशास्त्र … 
बन भी पाई 
कोई
आधी अधूरी अस्तित्व ?
थाह लेना जरूरी है॥ 

-  निवेदिता दिनकर 
    ११/१०/२०१४ 

फोटो क्रेडिट्स - उर्वशी दिनकर 

बुधवार, 8 अक्टूबर 2014

देवी


देखो,
कैसी सजी धजी, 
मुस्कराहट की चादर ओढ़े,
चलती फिरती,  
आलीशान  घरों में …  
दुबकी 
सहमी 
फीकी 
पीली  
"देवी''  
न, गलत मत समझना! 
शरीर पर एक दाग नहीं,
मगर …   

- निवेदिता दिनकर
  ०८/१०/२०१४  

दुर्गा माँ की तस्वीर उर्वशी दिनकर द्वारा खींची गई