होली आ गई मित्रों .......होली है !!!
क्यों न बासन्ती रस हो जाये…..यानी इस रचना में कुछ फ़िल्मी नामो का जमावड़ा है ....खूब तलाशिये और आनंद लीजिये …… 
एक पहेली ही तो हो 
कभी दोस्त बनकर, 
कभी अरमान दिखाकर, 
चुपके चुपके 
दर सिलसिला  
कभी अग्निपथ 
तो कभी गहरी चाल । 
गोलमाल संग  
निशब्द अक्स  संभाल ॥  
आज कर के ऐतबार 
मानकर नसीब
करू पुकार 
तुम्ही से परवरिश 
तुम बिन लावारिस 
एक रिश्ता बेमिसाल 
बेपनाह मोहब्बतें 
कभी कभी चीनी कम, 
तो कभी ख़ुशी कभी गम । 
कैसा  लगा  यह कोहराम 
न लेना कोई इसे अभिमान । 
यह तो है मात्र  एक रिश्ता 
जिसे मैंने भुनाया होली वास्ता ।।  
- निवेदिता दिनकर 


