शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

तुम्हारे आने से


तुम्हारे जन्मदिन के अवसर पर कुछ 'मूक' शब्द … 


तुम्हारे आने से,
जाने हर पल कैसे …   

बूँदों में बरसते हुए, 
चंचल चितवन से, 
जिंदगी की बहारों में,
किरणों सी आलिंगन पाकर, 
कुछ ऐसी बिखरी   … 

मानों, हज़ार चाँद लग गए हो, 
और निशि गंधा रूमानी सी निखरी  … 

- निवेदिता दिनकर 
  २१/०१/२०१४

गुरुवार, 9 जनवरी 2014

फिलहाल

यूँ  तो हर ओर 
अधूरापन, 
रिश्तों में सिलवटों 
का आवरण  …
टुकड़ो में पलता 
जीवन प्रभंजन  … 
दौड़ता दौड़ाता 
निर्झर 
क्लांत 
अंतर्मन …
बस ,
अब सृजन 
हो जाने दे, 
कोमल पत्तो को  
भीग जाने दे, 
फिलहाल
जी  लेने  दे । 

'फिलहाल'
जी  लेने  दे ॥ 

- निवेदिता दिनकर