पत्थर को पूजने वाले,
पत्थर से आग पैदा करते करते,
पत्थर के हो गए  ... 
यकीं मानिये, 
दौर यूँ चला यह 
कि 
बिन आँच के ही 
स ब 
झुलसते चले गए  ...   ... 
- निवेदिता दिनकर
तस्वीर : मेरे द्वारा खींची दौर ऐ शाम की , लोकेशन : आगरा 
पत्थर को पूजने वाले,
पत्थर से आग पैदा करते करते,