सुनहरा एहसास .....पल पल की ....धडकनों से गुजरती हुई स्याही तक का सफ़र ....
पत्थर को पूजने वाले,
पत्थर से आग पैदा करते करते,
जी नमस्ते ,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२४-१२ -२०२१) को 'अहंकार की हार'(चर्चा अंक -४२८८) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
बहुत ही उम्दा...
बहुत सुंदर।
ठीक कहा है ...आज का दौर ... कुछ भी सम्भव है ...
बहुत सुंदर सृजन
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२४-१२ -२०२१) को
'अहंकार की हार'(चर्चा अंक -४२८८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत ही उम्दा...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंठीक कहा है ...
जवाब देंहटाएंआज का दौर ... कुछ भी सम्भव है ...
बहुत सुंदर सृजन
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