गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

लघुप्रेमकविता 9




तुम निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचते हो ,
हज़ारो मीलों के फासले 
' करीब '
आकर पुतलियों से कहते है

"आओ , तसल्ली मनायें'' ...

- निवेदिता दिनकर 
तस्वीर : मेरे द्वारा खींची, गेटवे ऑफ़ इंडिया , मुंबई।

सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

तलब




कुछ लोगों से बात करने का मन करता है ...
कुछ लोगों से मिलने की इच्छा होती है ...
और
कुछ लोगों से प्यार हो जाता है।

मैं
अपनी इन दुष्ट चाहतों का पीछा कभी नहीं छोड़ती ...

'' सुबह '' की तलब जरूरी है , न ...

- निवेदिता दिनकर
 18/02/2019
तस्वीर : मेरी प्यारी बेटी ''बनी "

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

मुझे अपने में घोल ले ...



हल्के मीठे मौसम की झपकी ,
धूप की ठिठोली कच्ची पक्की.
मुई सौंधी बाताश के अधखुले अधर ,
मुलायम फुरफुरी आसमां का अगर मगर ,
झंकृत पानी के पाजेब ,
सकुचाते शरमाते धरणी कटिजेब ...
के सम्मिश्रण
के आँच
में
पकता है
वसंत ...
आह वसंत ...
री वसंत ...
मुझे अपने में घोल ले ,
ऐ वसंत ...
सुन ले, वसंत ...

- निवेदिता दिनकर
  14/02/2019

तस्वीर : मुग़ल गार्डन , राष्ट्रपति भवन , नयी दिल्ली

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

मध्य



सीने में ''धक् सा'' हो रहा हो ... 
का
कतई यह मतलब नहीं

कि 
प्रेम ...
यह 'टीस' भी हो सकती है।

शीतलता भरी
या
चुभती बर्फीली हवाएँ सी ...

के 'मध्य' नग्न षड़यंत्र है।

- निवेदिता दिनकर 
  12/02/2019

तस्वीर : मुग़ल गार्डन , राष्ट्रपति भवन , नयी दिल्ली 

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

लघुप्रेमकविता ८


यह ओस की बूँदे जो ठहर गयी है न,
पतली पतली हरी दूब घास पर ...
बस ऐसे ही तुम ठहर जाना
मेरे हथेली की रेखाएं बन कर ...
इस बार ''माघ'' में गज़ब तपिश है।
- निवेदिता दिनकर

०५/०२/२०१९
तस्वीर : मेरे बागीचे से , आज की ही ...

सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

लघुप्रेमकविता ७




उतरते उतरते धूप ने
मेरे भीगे केशों को देखा ...
सुखानेे आई थी
जब छत पर,
कि निर्लज्जता से वहीं टिक गया ।
" मेरे पास एक खूबसूरत देह भी है",
कह ही दिया ...
मैंने भी ।
बेचारा , मेरे आकर्षण से कैसे बचता ...

- निवेदिता दिनकर
  04/02/2019

तस्वीर : धीरे से उतरते, धूप की, मेरे छत पर ... लोकेशन : आगरा