कवि अनुवादक संगीतकार गायक अमृत खरे साहित्य के क्षेत्र में अजेय शिलालेख हैं जिनपर विभिन्न रंगों और रुपों का कलेवर है |
भारत में पहली बार किसी कवि ने वेदमंत्रों का हिंदी में काव्यात्मक अनुवाद का बीड़ा उठाया | यूँ तो श्री खरे विज्ञान के विद्यार्थी रहे हैं , फिर भी संस्कृत का इतना ज्ञान और अनुवाद की क्षमता एक विलक्षण प्रतिभा की पुष्टि है | अमृत फ़िल्म्स नाम से उनका एक यूट्यूब चैनल भी है |
नोशन प्रेस द्वारा प्रकाशित नवीन काव्य संग्रह ''मात्र मात्राओं का खेल है '' पुस्तक पर श्री अमृत ख़रे द्वारा प्रस्तुत निवेदिता दिनकर की कविताओं की पंक्तियों से सुन्दर समीक्षा का प्रस्फुटन हुआ है , आप सब दोस्तों के अवलोकनार्थ :
निवेदिता की अजन्मी कविताएं
कुछ कविताएं लिखी नहीं गईं
और कुछ कविताएं लिखी नहीं जा पाएंगी।
जज़्बात नहीं निकलते शब्दों से हर बार ।
दर्द बताने के लिए माकूल शब्द है कोई ?
हर बार क्या पंक्तियां पूरी हो पाती हैं ?
मानसून के आने का नॉर्मल पैटर्न बदला है ।
रिश्ते की पेचीदगी आज तक सुलझ नहीं पाई ।
सिसकियां फेंक दीं कहां, पता नहीं !
क्या है कि
चोट नहीं पहुंचती देह पर
अरे रे,
सीधे पहुंचती है आत्मा पर
काट पूरा नहीं दिया जाता
अधकटा ही छोड़ दिया जाता है ।
यह निवेदिता दिनकर की अजन्मी कविताएं हैं
तिलस्मी कहानियों का जखीरा सोया हुआ है इनमें
एक आहट के इन्तज़ार में !
कुछ कविताएं लिखी नहीं गई हैं
और कुछ कविताएं लिखी भी नहीं जा पाएंगी !
( मात्र मात्राओं का खेल है , कविता संग्रह की अजन्मी कविताओं पर )
अमृत खरे
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https://notionpress.com/read/maatr-maatraon-ka-khel-hai
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