गुरुवार, 15 जनवरी 2015

स्पर्श





एक अजीब सा रूहानी रूमानी एहसास।
दबी दबी ढकी ढकी।
सड़को पर चलते आहटों की आवाज़।
दूर जलती मद्धिम रौशनी। 
बारिश की बूंदो से 
उजली चमकती पत्तियाँ … 
और 

स्पर्श करते उष्ण हाथ।

- निवेदिता दिनकर 
 १४/०१/२०१५ 

तस्वीरों  को आज शाम क़ैद करते वक़्त मन को स्पर्श करते कुछ यूँ ख्याल  … 
लोकेशन - मेरे घर के सामने   


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