शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

छुट्टी वुट्टी ...


(१)

दाँत के दर्द से कराहते राजू ने माँ से कहा,
खूब पीरा रा है, मम्मी ...
चुप्प, अभी उनके घर बहुत रिश्तेदार आये हुए है, मैं छुट्टी नहीं ले सकती ...
(२)
पापा, आज मत जाओ कोठी पर, मेरा जनम दिन है ...
(३)
''अपना टेंशन खुद सम्हालो , कल मेरी वैसे ही छुट्टी हो गयी है, किसी घर में नहीं जा पायी| मैं जा रही हूँ | ''
बेटी को बोल दिया आज मैंने भाभी ...
" बोलती है, तुम अपने को तो देखती नहीं , डॉक्टर को दिखाती नहीं | कल सारा दिन बैठी रहीं वहाँ | जाने वाला तो चला गया ... "
(४)
तब से छुट्टियाँ थरथरा रहीं हैं !!
- निवेदिता दिनकर
१२/०१/२०२१

12 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१६-०१-२०२१) को 'ख़्वाहिश'(चर्चा अंक- ३९४८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. थरथरा रही छुट्टियां बहुत खूब ।

    जवाब देंहटाएं
  3. लाजवाब एवं भावों से परिपूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर सृजन - - एक अलहदा एहसास।

    जवाब देंहटाएं
  5. अशेष शुक्रिया  ...  मुझे ख़ुशी हुई 

    जवाब देंहटाएं