सूरज की अथाह रौशनी
नर्म हरे पत्तों पर
जब जब पड़ी होगी 
तब तब
" तुम" 
और 
ऊँचे, चमकीले हो गए होगे | 
जब पत्तियों से छन कर किरणों ,
 हवा के मीठे झोकों ने ,
"तुम्हारे" 
गर्वीले देह पर 
स्पर्श किया होगा , 
तुम्हारे तन मन में ताज़ा स्फूर्ति दौड़ पड़ी होगी ... 
तो 
कितने पंछियों को 
दर बदर की ठोकरों से बचाया होगा| 
जो तुम्हारी नींद इन के कोलाहल से टूटती होगी 
तो शाम शाखों पर लौटने से बरकत हुई होगी | 
क्या कुछ न समेट के रखा होगा  
तुम्हारे मुलायम छालों ने | 
कितने यादों के सुनहरे पन्ने 
और 
उन पन्नों से निकलती 
सुकून देने वाली 
खस खस की ख़ास करिश्माई खुश्बुओं ने | 
कहानियों का जख़ीरा
या 
जज़्बातों से बहा समुन्दर ...    
मुझे मंजूर है , 
तुम्हारे प्यार में 
' रूमी '
बन जाना  ... 
- निवेदिता दिनकर 
  ०६/०५/२०१८ 
एक अहम् बात : मेरे घर के सामने खड़े है , यह दरख़्त | एक भयानक आँधी ने इनमे से एक की जान ले ली तब से मन बेहद उदासऔर भावुक है | पहली तस्वीर आँधी से एक दिन पहले की है | कौन जानता था / है , अगले पल को ?
#आत्मखोज  # निवेदितादिनकर



आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (07-05-2017) को "मिला नहीं है ठौर ठिकाना" (चर्चा अंक-2963) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०७ मई २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
सिर्फ जज्बात ही तो है जो बस हमारे ही होकर रह जाते हैं.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना. खैर
निमंत्रण
जवाब देंहटाएंविशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
शुक्रिया ध्रुव ...
हटाएंसुन्दर जज्बात और शब्दों से सजी बेहतरीन रचना
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