आज की शाम ... 
सेब, संतरे, चीकू, अनार 
ठेल बिलकुल भरी हुई 
बराबर से एक और ठेल 
अदरख, लहसुन, हरी मिर्च की 
और ठेल के बराबर से, 
कुछ सहमी
कुछ मुस्काती    
दो जोड़ी चमकीली आँखे ... 
अरे, इतनी ठण्ड में ?
घर जाओ  ...
बराबर से फल वाला धीरे से कुछ बोला 
" माँ  " नहीं है।
सहसा दिल एकदम बैठ गया  ... 
आह!!  
बेहद दुखद  ... 
 मैंने दो दो सेब दोनों के हाथों में रख दिए ... 
मेरी आज की 
दो नन्हीं नायिकाएँ  ... 
एक दूजे से चिपकी खड़ी हुई 
उम्र मात्र आठ - नौ बरस 
-  निवेदिता दिनकर 
   २२/१२/२०१५ 
फ़ोटो : मेरी नज़र से : मसूरी की एक हलचल भरी शाम 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें