तिरंगे को देख 
जज़्बाती होना,
गर्व से माथे का उठना 
एकदम  स्वाभाविक … 
कितने गौरवशाली गाथाएँ, 
कितने कलेजे के टुकड़ों की कुर्बानियाँ, 
कितने धधकते अंगार,
कितने चरम पंथी  …
और 
कितने ही नरम पंथी  …
आसमान से ऊँची,
समुन्दर से गहरी,  
मेरा अभिमान,
मेरा स्वाभिमान,  
वन्दे मातरम   …
वन्दे मातरम  …
- निवेदिता दिनकर 
  12 /08 /2015 
फ़ोटो क्रेडिट्स : दिनकर सक्सेना , 'तिरंगा', लोकेशन : मदर्स वैक्स म्यूजियम , कोलकाता  
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भवोद्गार