मंगलवार, 17 जून 2014

चुप्पी



मेरी तसल्ली के लिए ही सही
मगर
तुम चुप्पी तोड़ डालो।

कितनी कही अनकही बातें
और
कितने छूते अछूते पल।

मालूम ही नहीं चला,
जब तुम पास थे
और

यह जानते हुए
भी
कि
जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग
केवल अंकगणित के अन्तर्गत ही नहीं
बल्कि
रहस्यमयी प्रक्रियाएँ है।

फिर भी,
यूँ ही गंवाते चले गए …


- निवेदिता दिनकर

नोट : उपरोक्त पेंटिंग रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा बनाई गई है | 

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