सोमवार, 25 अप्रैल 2016

लेबल



सुनो बंधु ,
आज तक तुम मुझे लेबल देते रहे   
'अशुद्ध' का 
और 
प्रतिबन्ध लगाते रहे 
मेरे हर मार्ग पर ...

पर 
अपने को न बचा पाए 
और सिद्ध हुए 

एक अशुद्ध से जना ... 
एक जना ... 

- निवेदिता दिनकर 
  25/04/2016

फ़ोटो क्रेडिट्स: उर्वशी दिनकर  

शनिवार, 9 अप्रैल 2016

कुछ पल


२०११ में लिखी थी, आप भी महक लें   ...

खूब थी वह खूबसूरत याद ..........
बेमिसाल बेहिसाब बेकाबू
जाने अनजाने बस गयी
भीनी मंद मंद मीठी मीठी
सराबोर कर के आज ...........

जैसे 
धुएँ के छल्लों में 
पहली कश ...
खूब थी वह खूबसूरत याद ..........
---" कुछ पल जो संजोये है...."

- निवेदिता दिनकर 
   ०९/०४/२०१६ 
तस्वीर: उर्वशी के हाथों का जादू ...