बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

चमत्कार



"अब मेरी पवित्रता भी तुम तय करोगे! 
क्योंकि यहीं परंपरा है!!" 

तो  ऐसा करों, 

सहनशीलता की मूरत बन के दिखाओ ...
नौ महीने कोख़ में रखो ...
संतान जनो ...  

 बस!!!  

वर्ना
बुला लाओ, सब धर्म गुरुओं को   
शायद, कोई चमत्कार हो जाए ...   

- निवेदिता दिनकर 
  १०/०२/२०१६ 

सन्दर्भ : स्त्रियों का शनि मंदिर, सबरीमाला मंदिर प्रवेश पर प्रतिबंध 
तस्वीर : उर्वशी दिनकर, लोकेशन : रामोजी सिटी, हैदराबाद  


गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

बर्फ ही बर्फ



एक : "जब मैं छोटा था, फ्रिज में से बर्फ निकालकर एक दूसरे भाई बहनों पर फेंका करता  था।"

दूसरा : "जब मैं छोटा था, हमारे घर में फ्रिज नहीं था और हम पड़ोस के घर से बर्फ लाकर शिकंजी में डाल कर पीया करते थे।"

तीसरा : "जब ठण्ड के मौसम में माँ मुझे रात को कहानी सुनाकर सुलाया करती थी, तो मैं उनसे चिपट कर गहरी नींद में सो जाया करता था।" 

चौथा : "जब  मैं मम्मी पापा के साथ गुलमार्ग घूमने गया था, कैसे मैंने बर्फ के गोले बनाकर अपनी बहन पर डाला था।"    

सारे : "मगर, क्या आज  हम इस बर्फ के कहर से बाहर निकल पाएँगे ??"

- निवेदिता दिनकर  
  ०४/०२/२०१६  
सन्दर्भ : सियाचिन ग्लेशियर 
तस्वीर : उर्वशी दिनकर, लोकेशन : भीमताल  

बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

क्या नाम दूँ ?




यह तुम्हारे नर्म एहसासों का बोसा है 
या 
गुदगुदाते आगोश की संगमरमरी उल्फ़त      
या 
बेज़ुबान इश्क़  ...  

- निवेदिता दिनकर 
०३/०२/२०१६ 

तस्वीर :  उर्वशी दिनकर की आँखों ज़ुबानी  "बेज़ुबान इश्क़"