मंगलवार, 12 नवंबर 2013

दिनकर



आह्लाद से यु जुड़ी , मान के यहीं डगर , 
डोर जब बांधी तुझसे , बेफिक्र सी  होकर । 
चाहे कड़क ठण्ड पड़े या ओले ,बरसात ,
ऊष्मा में लिपटी रहूँ , ताउम्र ऐ दिनकर ॥ 

- निवेदिता दिनकर