शनिवार, 17 दिसंबर 2016

ज़िद्दी




ज़िद्दी ज़िद्दी ज़िद्दी 

हाँ हूँ 
यार, पगला जाती हूँ ...

आजकल 
बेकाबू टाइप हो जाती हूँ। 
कभी 
बहुत रोने का मन करता है |

अंदर सिसक रही हो जैसे  ... 
कच्चे घड़े को वापिस 
मिट्टी बनना हो वैसे  ... 

और
अब 

चीख चीखकर रोना चाहती है। 

रोने दो न  ... 
मिट्टी बनने दो न  ... 

- निवेदिता दिनकर  
  17/12/2016

तस्वीर : उर्वशी के आँखों देखी, लोकेशन : दिल्ली हाट  


रविवार, 11 दिसंबर 2016

प्यार में कभी कभी




जब मामूली हवा के झोकें के छुवन से सिहरन हो जाये , 
आप प्यार में है,
जब तन्हाइयों में अपने अंदाज़ से मुस्कान तैर जाये, 
आप प्यार में पड़े है, 
जब सामने से 'वो ' आ कर भी अपने में खोये रह जाये,
आप प्यार के परे है, 
  
जब आँच पर चढ़ी  भिन्डी जल कर ख़ाक हो जाये,
आप प्यार के सिरमौर है ...

- निवेदिता दिनकर 
  ११ /१२/२०१६ 

फोटो क्रेडिट्स : तुम्हारे लिए " दिन " मेरे दिल के आँखों से , लोकेशन मसूरी