मंगलवार, 7 जून 2016

मुमकिन




कितने सूरज 
कितने चाँद 
कितने आसमान 
कितने समुंदर 
कितने हिमालय 

अपने अंदर 
समेटे हुए है ... 

हाँ ...  
मुमकिन है 

यक़ीनन हम 
मुमकिन है ... 

- निवेदिता दिनकर 
  07/06/2016

तस्वीर : "NGO कर्त्तव्य" के हौसलों के साथ 
          मुझे कुछ सुखद और यादगार क्षण मिलें  ...