सुनहरा एहसास .....पल पल की ....धडकनों से गुजरती हुई स्याही तक का सफ़र ....
शुक्रवार, 6 जून 2014
अकेले
वह प्रेम ही क्या, जहाँ ईर्ष्या न हो!! इस बार जब तुम आना , अकेले ही आना, बस अकेले … न कोई गल्प, न कोई परी कथा, न साजो सामान, न वीर गाथा, बस अकेले … बस तुम …
वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंआप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
बधाई.
आपके कमेंट के लिए धन्यवाद एवं ब्लॉगपधारे और कुछ अपने कीमती वक़्त दिए, शुक्रिया।
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