शनिवार, 21 जून 2014

कब तक!


बिन पानी के भी बहे चले जा रहे 
और 
निकलते जा रहे 
मीलों दूर …
'अपनों' से !!    
आखिर कब तक !!!

- निवेदिता दिनकर 

नोट: साभार अमृता शेरगिल की खूबसूरत पेंटिंग 

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-06-2014) को "जिन्दगी तेरी फिजूलखर्ची" (चर्चा मंच 1652) पर भी होगी!
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. अनुभूत सत्य.. सुन्दर कहा है..

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