शनिवार, 14 जून 2014

लहर


उफ्फ...
यह लहर, 
फिर लहर, 
और 
फिर एक लहर... 
हर पहर

लहर लहर...
आत्म मुग्ध
यह लहर...
क्षण भंगुर
है लहर,
फिर भी
लहर लहर... 


- निवेदिता दिनकर

5 टिप्‍पणियां:

  1. लहर लहर हर पल हर प्रहर
    कुछ कहती सी, बहता चल न ठहर।

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  2. मित्रों, बहुत ही ख़ुशी होती है जब आप जैसे साहित्यकार मेरे ब्लॉग पर आते है और हौसला अफजाही कर जाते है , बहुत शुक्रिया
    आपकी,
    निवेदिता दिनकर

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