गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

लघुप्रेमकविता 9




तुम निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचते हो ,
हज़ारो मीलों के फासले 
' करीब '
आकर पुतलियों से कहते है

"आओ , तसल्ली मनायें'' ...

- निवेदिता दिनकर 
तस्वीर : मेरे द्वारा खींची, गेटवे ऑफ़ इंडिया , मुंबई।

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-03-2019) को "पापी पाकिस्तान" (चर्चा अंक-3262)) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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