मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

लघुप्रेमकविता ८


यह ओस की बूँदे जो ठहर गयी है न,
पतली पतली हरी दूब घास पर ...
बस ऐसे ही तुम ठहर जाना
मेरे हथेली की रेखाएं बन कर ...
इस बार ''माघ'' में गज़ब तपिश है।
- निवेदिता दिनकर

०५/०२/२०१९
तस्वीर : मेरे बागीचे से , आज की ही ...

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (07-01-2019) को "प्रणय सप्ताह का आरम्भ" (चर्चा अंक-3240) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    पाश्चात्य प्रणय सप्ताह की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी हर रचना को पढकर निःशब्द हूँ । फिर से पढने और सोचने को विवश हूँ । शुभकामनाएं आदरणीय निवेदिता जी। बहुत-बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं