शुक्रवार, 1 मार्च 2019

प्रिय ''अभि ''



मैं सोचने लगी
तुम्हारी तस्वीर देखकर 

प्रिय ''अभि ''

कि दुश्मनों के बीच 
पहुँचकर
कलेजे तो काम करने बंद कर देते हैं।
हाथ पैर दिमाग़ शिथिल पड़ जाते है।

तुम कैसे अडिग खड़े होकर सामना कर रहे होगे ?
तुम उनके प्रश्न का क्या खूब जवाब दे रहे हो ...
तुम्हारे हौसले को सलाम करने लायक भी नहीं हूँ , शायद ...

मैं तो केवल तुम्हारे हालात को सोचकर ही धड़कने बहत्तर की जगह एक सौ बहत्तर कर बैठी हूँ। 
मेरी तो हाथों की उँगलियाँ और पैर ठंडे पड़ चुके है।

तुम्हें एक सच्चा देश प्रेमी का तमगा भी नहीं दे सकती क्योंकि यह तुम्हारे लिए नहीं है।

अभी तुम्हें देने के लिए ऐसा कोई शब्द कॉइन नहीं हुआ है। 
भविष्य में हम करोड़ों देश प्रेमी कोशिश करेंगे कुछ , शायद ...

- निवेदिता दिनकर
  ०१/०३/२०१९

तस्वीर : ''पंक्तिबद्धता '', थार , जैसलमेर 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-03-2019) को "वीर अभिनन्दन ! हार्दिक अभिनन्दन" (चर्चा अंक-3263) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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