सोमवार, 11 सितंबर 2017

मंजर


रेज़ा रेज़ा हुए जा रहे है | 
देखो कैसे जिये जा रहे है | 
अजीब मंजर है मिरे मुल्क का  
रेत को भी रेते जा रहे है ||  

- निवेदिता दिनकर 
  11/09/2017

तस्वीर :  " सुबह "
यह बच्चे एक प्रतियोगिता के तहत 

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (13-09-2017) को
    "कहीं कुछ रह तो नहीं गया" (चर्चा अंक 2726)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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