"काली मछली पीछा ही नहीं छोड़ रही थी |
तभी मुझे किसी ने वहाँ से हटा कर मेरे पुराने मित्रों के पास छोड़ दिया |
मुझे वापिस आकर बहुत अच्छा लगा |
मैं ख़ुशी के मारे रोने लगी |
लेकिन यह क्या? मेरे आँखो में पानी तो था, मगर मेरे किसी दोस्त को पता ही नहीं चल पाया कि मैं रोई भी हूँ क्योंकि क्योंकि मेरे चारों ओर पानी ही पानी था |"
नारंगी मछली सोचते सोचते सुबकने लगी |
काश ...
- निवेदिता दिनकर
30/08/2017
तस्वीर : आँखों सुनी कानों देखी
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