शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

असाधारण लम्हें








यूँ तो यह मामूली सी ही बात है, लेकिन खासम खास मेरे लिए , मेरे अंदर की जान के लिए  ... 

पिछले दिनों लखनऊ जाना हुआ, राष्ट्रीय पुस्तक मेले में कविता पाठ हेतु  जो मेरे लिए तो हज़ार भाग्य की बात है, पर बोनस के तौर पर एक खुशखबरी और मिली कि बेटे की मीटिंग लखनऊ में १४ तारीख को होने से १३ को वह भी पहुँच रहा है | जानकर, बच्चों सी खुश हो गयी क्योंकि पिछले दो तीन महीने से नौकरी की वजह से वह घर भी नहीं आ पाया था | बस फिर क्या था , मैंने कहा , जिस होटल में तुम रुकोगे मैं भी वहीं रुकूँगी, इस बहाने एक दिन एक रात तुम्हारे साथ रह लूँगी | 

मैं दोपहर दो बजे लखनऊ पहुँची, चेंज किया और हम साढ़े तीन बजे तक वेन्यू पहुंच गए | कार में बेटे जी बोलते है , 'मम्मा , प्रैक्टिस कर लो, एक बार '| मुझे उसकी यह बात इतनी अच्छी लगी , फ़ौरन गाड़ी में ही शुरू हो गयी | उसने ख़त्म पर 'थम्ब्स अप' दिखाया, तो मैं बस ...  
 खैर, बेटा भी अपने नरसी मोंजी कॉलेज, हैदराबाद में मैगज़ीन कमिटी का एडिटर रह चुका है और एक ज़बरदस्त लाइब्रेरी का मालिक, जो उसके आगरा घर में सुशोभित है | बचपन की चम्पक, नंदन, टिंकल, अमर चित्र कथा से लेकर जैकी कॉलिंस, मारिओ प्यूज़ो , अल्फ्रेड हिट्चकॉक , Ayn Rand, एरिच सेगल, अमिश त्रिपाठी और भी कितनें सारे नाम | 

रात मुझे लखनऊ की स्पेशलिटी कबाब्स का जायका दिलवाने "रेनेसांस" भी ले गए और मैं बस आनंदित होकर बहती जा रही थी , लहरों से अठखेलियाँ कर ... 

 एक साधारण सी माँ के लिए इतने असाधारण लम्हें |     

और क्या चाहिए ...   

काँटों से खींच के ये आँचल
तोड़ के बंधन बांधे पायल
कोई न रोको दिल की उड़ान को
दिल वो चला..
आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है ,,,  


- निवेदिता दिनकर 
  18/08/2017

फ़ोटो : लखनऊ 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-08-2017) को "चौमासे का रूप" (चर्चा अंक 2702) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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