गौरवान्वित हूँ ...
क्योंकि 'भाषा सहोदरी हिंदी' द्वारा १२ जुलाई को काव्य गोष्ठी एवं १३ जुलाई को सहोदरी सोपान -२ पुस्तक का लोकार्पण की मैं प्रतिभागी व साक्षी रही। ख़ुशी की बात तो है जब अनोखी बातें, अपनत्व भरी मुलाकातें हुई हो ।
जब फेसबुक वाल से मित्रगण जमीनी हकीकत पर रूबरू होते है तो जज़्बातों का आदान प्रदान होता ही है और सच मानिए हुआ भी।
नामचीन साहित्यकारों को सुनना और फिर उनसे बातचीत कर, प्रफुल्लित महसूस कर रही हूँ । शायद इसलिए और भी क्योंकि मेरे लिए यह सब रोज़मर्रा की चीज़ तो है नहीं तो क्यों न पलों को जीते रहे और खुद के साथ जीवित रखे …
आमीन
- निवेदिता दिनकर
16/07/2015
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