कल जो पीड़ा से गुजरी, आज आक्रोश से गुजर रही हूँ...
क्रूर जानवर भी नहीं कर सके ऐसी बर्बरता,
जघन्यता को लांघ चुकी ऐसी कायरता,
जानवर कहकर जानवरों को नहीं कर सकते कलंकित …
कौन से सुरंग में आखिर जा रही यह मानवता।
जघन्यता को लांघ चुकी ऐसी कायरता,
जानवर कहकर जानवरों को नहीं कर सकते कलंकित …
कौन से सुरंग में आखिर जा रही यह मानवता।
17/12/2014
बर्बरता का कोई जबाब नहीं
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