रात ने किया मुझे बेहद आकर्षित ...
सर्द रातें तो बिलकुल नवयौवना सी और बारिश प्रेमी
एक दुसरे के साथ मिल,
अपनी बेमिसाल खूबसूरती को देते है
नया रूप ...
एक दिव्य रूप |
मुझे यह जोड़ा बेहद पसंद है |
एक बेखौफ प्रेमी ,
जो दुनिया के हर दस्तूर से मीलों आगे |
एक बेपरवाह अंदाज़,
जिसे मिलने से कोई नहीं रोक सकता |
एक आग ,
एक छटपटाती रूह जो गर्म लावा बनकर कर दें सबको भस्म
सुनों ,
इनके ज़ोर से धड़कते सीने की आवाज़ ,
इनके हाथों के गर्म तालु ,
इनके रौद्र रूप ...
दुनिया के सिरमौर प्रेमिक कतारों ...
हीर राँझा , सोहनी महिवाल , रोमियो जूलिएट , शीरी फरहाद, लैला मजनूं
इन सबके भौतिकी से कहीं ऊपर |
हाँ ,
यह तिलिस्म है |
इसे शिद्दत से महसूस करना पड़ता है |
पूरे में भी अधूरे और अधूरे में भी पूरे |
बंद आँखों से एकदम साफ़ झलकते है |
भौचक्का कर देती है ऐसी दास्तानें |
एक पाकीज़गी ...
एक सब्र ...
यह जो आशिक़ी है , न |
मन की आशिक़ी ,
रोम रोम की आशिक़ी ,
दुआओं की आशिक़ी ,
शुकराना की आशिक़ी ...
यही इबादत है |
यही नमाज़ है |
यही रोज़ा है |
यही मक़ाम है |
- निवेदिता दिनकर
२५/०१/२०१८
फोटोग्राफी : एक कौतुहल , मसूरी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (27-01-2018) को "शुभकामनाएँ आज के लिये" (चर्चा अंक-2861) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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गणतन्त्र दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे... बेहतरीन
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