सुनकर मेरे हसीं ख्वाब …
मखमली साया,
आँखों की प्यास,
कमलिनी कामना,
मन की परी,
बोली …
ले चल दूर कहीं,
आम बागानों
से होते हुए,
दरिया से सटे हुए …
झिलमिल तारों
के छाँव,
तरुण यशस्वी भाव …
मखमली साया,
आँखों की प्यास,
कमलिनी कामना,
मन की परी,
बोली …
ले चल दूर कहीं,
आम बागानों
से होते हुए,
दरिया से सटे हुए …
झिलमिल तारों
के छाँव,
तरुण यशस्वी भाव …
बस
मैं
और
मेरा अंतर्नाद।
लिए
रजनीगंधा सी सौगात॥
मैं
और
मेरा अंतर्नाद।
लिए
रजनीगंधा सी सौगात॥
तो
ख़्वाबों की झोली यूँ ही सजती रहेगी …
यूँ ही सजती रहेगी …
ख़्वाबों की झोली यूँ ही सजती रहेगी …
यूँ ही सजती रहेगी …
फोटो क्रेडिट्स - उर्वशी दिनकर " झिलमिल "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें