शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

तुम्हारे आने से


तुम्हारे जन्मदिन के अवसर पर कुछ 'मूक' शब्द … 


तुम्हारे आने से,
जाने हर पल कैसे …   

बूँदों में बरसते हुए, 
चंचल चितवन से, 
जिंदगी की बहारों में,
किरणों सी आलिंगन पाकर, 
कुछ ऐसी बिखरी   … 

मानों, हज़ार चाँद लग गए हो, 
और निशि गंधा रूमानी सी निखरी  … 

- निवेदिता दिनकर 
  २१/०१/२०१४

6 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. Shikha, तुम्हारा आभार अगर रचना तुम्हें कोमल एहसास दे पायी, तो सार्थक

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  2. बहुत खूबसूरत!!!
    कितना कुछ कह डाला इन मूक शब्दों ने...

    अनु

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    उत्तर
    1. अनु, अपार धन्यवाद, आपका आना हमें बहुत भाता है ।

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  3. स्वप्न लोक मुबारक निवेदिता.. :)

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