तुम्हारे जन्मदिन के अवसर पर कुछ 'मूक' शब्द …
तुम्हारे आने से,
जाने हर पल कैसे …
बूँदों में बरसते हुए,
चंचल चितवन से,
जिंदगी की बहारों में,
किरणों सी आलिंगन पाकर,
कुछ ऐसी बिखरी …
मानों, हज़ार चाँद लग गए हो,
और निशि गंधा रूमानी सी निखरी …
- निवेदिता दिनकर
२१/०१/२०१४
वाह ... कोमल एहसास
जवाब देंहटाएंShikha, तुम्हारा आभार अगर रचना तुम्हें कोमल एहसास दे पायी, तो सार्थक
हटाएंबहुत खूबसूरत!!!
जवाब देंहटाएंकितना कुछ कह डाला इन मूक शब्दों ने...
अनु
अनु, अपार धन्यवाद, आपका आना हमें बहुत भाता है ।
हटाएंस्वप्न लोक मुबारक निवेदिता.. :)
जवाब देंहटाएंRaju, तहे दिल से शुक्रिया, सादर
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