कुछ अधूरे किस्से ...
{1}
वह सीढ़ियों पर ठहरे पैरों के छाप तुम्हारे,
तह कर सबसे ऊँचे वाले खाने में रख दिए है ...
कि
मुफ़लिसी में काम आ सके ...
{2]
बात कुछ खुश्बूदार पत्तों की भी है,
केवल फूलों से ही वसंत नहीं ...
{3}
तुम्हें याद करने का एक नायाब तरीका खोज निकाला है ,
मेरी हर तस्वीर में तुम्हारी खुश्बू होती है।
- निवेदिता दिनकर
आपकी लिखी रचना सोमवार 17 अक्टूबर 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
बहुत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंयादों को सुंदर सांचे में ढालती रचना ।
जवाब देंहटाएंहृदय के तल तक बसी स्मृतियाँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हृदय स्पर्शी रचना।
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंकेवल फूलों से ही वसंत नहीं....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत सटीक सार्थक...
लाजवाब सृजन।
वाह...अति मनमोहक ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
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