शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

कमाल है ...



कमाल है,
यहाँ सब गद्दार है ।
एक पेड़ ने दूसरे पेड़ से कहा ...
कि कलम दवात खेल रहें हैं ... खूब
कि आज कल खेल चरमोत्कर्ष पर ...
तो क्या अब हमें यह गद्दार काटेंगे नहीं?
नहीं, अब आपस में ही काटम काट चल रहा है ...
पर इनके फ़ितरत की फिक्र है, बंधु !!
बाकमाल यह,
कभी भी किसी करवट बैठ सकतें हैं, बंधु !!!
- निवेदिता दिनकर

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