क्यों लगता है
एक दर्द है हमारे प्रेम में
या
एक प्रेम है हमारे दर्द में
जो
हौले हौले
कम्पन
बन पनप रहा है …
जैसे
रात की रानी की ठंडी ठंडी खुशबू रात से घुलमिल रही हो
या
भोर की ओस नंगे पैरों से लिपट रही हो
या फिर
वन की लताओं का आलिंगन लेता विक्षिप्त पुरुरवा …
- निवेदिता दिनकर
०९/११/२०१५
फ़ोटो क्रेडिट्स : उर्वशी दिनकर, लोकेशन : नौकुचियाताल की एक सुबह
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