बुधवार, 4 मार्च 2015

रात एक बात की


सुनो,
कल रात तुम पास होकर भी पास नहीं थे।  
रात भर हम बुदबुदाते रहे 
और 
इंतज़ार में रात चीरते रहे।  

सुन रहे हो न, 
आज तक 
यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। 

- निवेदिता दिनकर 
  ०४/०३/२०१५ 

तस्वीर - मेरे द्वारा कैद "रात एक बात की" 

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