गुरुवार, 22 जनवरी 2015

दो तोते




बेचैन सर्द हवा,
सीली सीली फ़िज़ा, 
गुफ्तगू करते 
चैन से 
दो तोते, 
एक उजड़ी शाख पर … 
और 
बेगाने से 
हम 
बहसो तमहीस के 
तिलस्म 
में 

 - निवेदिता दिनकर 
   २२/०१/२०१५ 
आज की तस्वीर मेरी आँखों से …"दो तोते" देख कुछ उमड़े ख्याल


2 टिप्‍पणियां:

  1. छोटी पर प्रभावी रचनाआर्दिक बधाई।

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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