रविवार, 11 जनवरी 2015

सपनें


चूल्हों में जलती 
बैंगनी नारंगी रंग
और 
ऊपर पकती दाल 
सौंधी सी … 
भाव बहे जाये बदरंग 
और 
करवटें लेती सपनें 
औंधी सी … 

- निवेदिता दिनकर 

तस्वीर साभार गूगल 

5 टिप्‍पणियां:

  1. इन बद्रंगे भावों में ही तो रौशनी भरनी है ...
    भावपूर्ण ....

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  2. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (12-01-2015) को "कुछ पल अपने" (चर्चा-1856) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. वाह..बहुत ख़ूबसूरत अहसास...

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