जब पहुँची
घाट …
नहा धोकर
चन्दन सी,
रेशमी साड़ी में लिपटी …
बेलें की कलियों के गजरें,
खास मेरी पसंद के,
जवाकुसुम दमक …
पर, आज …
भीगी-भीगी कच्ची मिट्टी,
नरम नरम बाताश का लेप,
वेदमंत्र …
और कुछ
सुबकियाँ …
- निवेदिता दिनकर
१७/१०/२०१४
फोटो क्रेडिट्स - उर्वशी दिनकर "जवाकुसुम दमक"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें