वह भीगी रात
कितनी खूबसूरत बात है,
कितनी मनमोहक रात है,
मन करता है …
रोक लू इसे,
न जाने दू कभी ,
यु ही तुम्हारे
साथ…
स्पर्श की आंखमिचौली,
खुशबूओं की होली …
सिहरन का आलिंगन,
कौंधती बिजली सा बदन …
दर सिलसिला
बना रहे
और
हम
कभी बाहर
न निकल पाये ॥
काश, तुम समझ पाते!!
- निवेदिता दिनकर
अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
जवाब देंहटाएं