जानू न.….
कब से ??
कितने कृष्णयुग पार .….
कितने जनम जन्मान्तर,
कितने देहली ,
कितने पहेली …
कितने घात ,
कितने आघात …
कितने आस ,
कितने परिहास …
कितने घेरे ,
कितने फेरे …
शनै: शनै: …… .
एक दिलासा,
एक अभिलाषा ….
एक किसलय,
एक समय .....
एक निवेदन
एक आवेदन,
एक प्रभंजन .....
एक निरंजन,
एक तृष्णा,
एक कृष्णा !
हरे तृष्णा,
हरे कृष्णा !!
- निवेदिता दिनकर
बिलकुल भिन्न ....मारक रचना ....लाजवाब
जवाब देंहटाएंनिशब्द , देरी के लिए माफ़ी शिखा, ... बहुत शुक्रिया तुम्हारा
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