शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

छोटी सी कली






आज से कुछ समय पहले ..... आज ही के दिन ......मेरे घर एक पुत्री रत्ना का आगमन हुआ 
उसके लिए एक नन्हा सा शब्दों का गुलदस्ता ...  



छोटी सी कली, छोटी सी कली
नाज़ नखरों में पली 
खुशियों की ऐसी डली 
कभी इधर चली , कभी उधर चली 
खिली खिली 
छोटी सी कली .....

जब से आई है ज़िन्दगी 
अनुभूति की पराग है ज़िन्दगी 
कभी मस्ती की बौछार 
कभी शीतल सी बयार
नरम नरम बातें 
हमेशा दिल को गरमाते 
खिली खिली 
छोटी सी कली .....

मन में तु ऐसी बसी 
कभी माँ सी , कभी सखी सी 
निर्मल सी , कोमल सी 
धवल सी , तरल सी 
गुदगुदाते एहसास सी 
छोटी सी कली
छोटी सी कली
खिली खिली 
छोटी सी कली ....

- निवेदिता दिनकर 

 

2 टिप्‍पणियां:

  1. नन्ही कली फूल बने गी
    और महकाएगी मन का और घर का आँगन...
    शुभकामनाएं और स्नेह

    अनु

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनु जी , आभार आपका मेरी रचना को पढने के लिए | ब्लॉग पर पधारी........दिल हिलोरें मारने लगा | यूँ ही स्नेह बनाए रखिएग॥
      निवेदिता

      हटाएं