बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

प्यारी रोज़ी के लिए समर्पित ....



वक़्त एक बार फिर थमा, तो क्या हुआ .....
सुकून और आह्लाद जो  तुमने बिखेरी ....
यथेष्ट इतना
बार बार  कुमकुम ऐ कांति से सींचते रहेंगे
यादों में तुम्हे आहट देते रहेंगे  ।।

- निवेदिता दिनकर 

2 टिप्‍पणियां:

  1. oh !
    --------------
    यूँ हर रिश्ता ही अतुल्य स्नेह से भरा होता है
    किंतु पंच इन्द्रीयों से बना अत्यंत मधुर होता है

    वो आपकी अंतरमन की व्यथा को समझता है
    छठी इन्द्री विवेकी उतना निर्मल प्रेम नही करता है
    ------------------------एहसास

    आपकी इस अभिव्यक्ती के लिये मेरे पास सिर्फ़ ये टिप्पडी हैं
    ...** सादर , वन्दन ! **

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  2. जिंदगी में कुछ एक वाकया दिल के इतने करीब हो जाते है कि शब्द पूरे नहीं पड़ते .........बस दर्द सम्हाले हुए है !

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